Teachers day 2022
शिक्षक दिन
हमारे देश भारत मे शिक्षक दिन हर साल पाँच सितंबर को मनाया जाता है। इस साल शिक्षक दिन पाँच सितंबर 2022 सोमवार के दिन है। शिक्षक का महत्व और उनकी मेहमत एवं महानता के बारे में यह दिन बहुत ही मायने रखता है। स्कूल व कॉलेज मे शिक्षक दिन बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। कई बच्चे शिक्षक के महत्व पर भाषण भी देते है। स्कूल और कॉलेज मे इस दिन छात्रों द्वारा शिक्षक और शिक्षिका बनके बच्चों को पढ़ाकर अंत में अपने अनुभव के बारे मे वर्णन करके मनाया जाता है।
क्यों मनाया जाता है, शिक्षक दिन
शिक्षक दिन 5 सितंबर तारीख को चुना गया है क्योंकि यह भारत के पहले उपराष्ट्रपति और भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती का प्रतीक है। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर, 1888 को हुआ था। 1962 में जब डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के दूसरे राष्ट्रपति बने तो उनके छात्रों ने 5 सितंबर को एक विशेष दिन के रूप में मनाने की अनुमति लेने के लिए उनसे संपर्क किया। इसके बजाय डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने उनसे समाज में शिक्षकों के योगदान को पहचानने के लिए 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने के बारे में राय दी , और इसीलिए इस दिन को पूरे देश में Teachers day (शिक्षक दिन) के रूप में मनाया जाता है।
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म तमिलनाडुुः के तिरुट्टनि गाँव में हुआ था। उनका जन्म ब्राह्मण परिवार मे हुआ था। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन बचपन से ही किताबों के प्रति बहुत ही आकर्षित रहे थे। उन्हें स्वामी विवेकानंद जी के जीवन से काफी सीख मिली थी। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की पत्नी शिवकामु और चार पुत्रियाँ -सुमित्रा, शकुंतला, रुक्मिणी , कस्तूरी और एक पुत्र सर्वपल्ली गोपाल थे। उनका मुल व्यवसाय राजनीतिज्ञ, दार्शनिक, शिक्षाविद, विचारक था। उनका धर्म हिंदु था। उनका निधन 17 अप्रैल सन् 1975 को चेन्नई में हुआ था।
शिक्षक का महत्व
कहा जाता हैं की, शिक्षक कभी साधारण नहीं होता, निर्माण और प्रलय उसकी गोद मे पलते है। माता-पिता के बाद यदि दूसरा नाम आता है तो वह शिक्षक का है। बच्चों के जीवन मे संस्कार और ज्ञान का उजाला शिक्षक ही ला सकता है। बच्चे जब से समजना चालू करते है, तबसे उनके जीवन में शिक्षक आ जाता है। एक अच्छा शिक्षक हमें अच्छे ज्ञान के साथ सफ़लता की सही रहा दिखाता है। जिसके जीवन मे शिक्षक आ जाता है, उसका जीवन सफ़ल हो जाता है। शिक्षक हमारे जीवन मे अंधकार मिटाकर उजाला भरता है। हमारी सफ़लता के पीछे जितना हाथ हमारे माता पिता का होता है,उतना ही हाथ एक शिक्षक का भी होता है। आज जमाना बदल गया है, पढ़ाई का लेकिन भावनाए वही है। पहले शिक्षक सिर्फ स्कूल या कॉलेज मे पढाता था। लेकिन आज internet के माध्यम से online पढ़ाता है। और आज कई ऐसे शिक्षक है जो बच्चों को बहुत ही अच्छी शिक्षा और संस्कार घर बैठे दे रहे है। सामने उन शिक्षकों को बच्चों की और से भी बहुत प्यार मिलता है। माँ-बाप के संस्कार और गुरु का ज्ञान इन दोनों से बढ़कर दुनियामे कुछ नही है।
शिक्षक और छात्र का संबंध
हमारे भारत देश की संस्कृति मे गुरु-शिष्य का संबंध का महत्व बहुत रहा है। गुरु और शिष्य का संबंध जैसे फूल और तितली का, जैसे आकाश और बिजली, जैसे बाग और माली, जैसे माली एक बगीचे मे पेड़ पौधों को रोज पानी देकर उनकी सुंदरता बढ़ाता है वैसे ही गुरु अपने शिष्यों मे अच्छे संस्कार और ज्ञान के उजाले को भर देता है। हमारे देश मे गुरु के सन्मान मे गुरु पुर्णिमा भी मनायी जाती है।
उपसंहार
शिक्षक ज्ञान का भंडार हैं। शिक्षक की वजह से समाज हमारे समाज को शिक्षित और समझदार इंसान मिलते है। अच्छे और शिक्षित समाज के लिए शिक्षक का महत्व बहुत मायने रखता है। लेकिन आज के ऐसे कई शिक्षक है जो अपने अपने ज्ञान का पिटारे को और उनका नाम बढ़ाने के लिए सही रहा भूल गए है। आज के समय में ऐसे बहुत से समाचार देखने को मिलते है की जिससे शिक्षक का महत्व कम कर दिया है। आज के दिनों में गुरु-शिष्य के संबंध कलंकित हों रहे है। कई बार गुरु का शिष्यों पर तो शिष्यों का गुरु पर दूरव्यवहार की खबरें दिखाई जाती है। इसके कारण हमारी संस्कृति की गुरु-शिष्य की परंपरा पर दाग़ लगते है।
हमारे समाज में अच्छे शिक्षक और शिष्यों की आवश्यकता पूर्ण हो और समाज में लोग शिक्षक का स्थान एवं महत्व को समझे और उनका सन्मान करे यही ईश्वर से मेरी प्रार्थना है।
FAQs
Q. 1 2022 शिक्षक दिन की थीम क्या है?
Ans: शिक्षकः बढ़ते संकट के बीच भविष्य की नई कल्पना'
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