गुरु पूर्णिमा 2023 :
इस साल गुरु पूर्णिमा 3 जुलाई 2023 को सोमवार के दिन है।
गुरु का महत्व तो आप सब लोग जानते ही होगे। आज अपने देश में गुरु का स्थान सबसे ऊँचा और श्रेष्ठ माना जाता है। आज के समाज और देश के लिए गुरु का महत्व बहुत ही अनिवार्य है। गुरु के बिना संसार अधूरा है। जीवन मे यदि गुरु ना हो तो अपना जीवन व्यर्थ है। जिसके जीवन में एक भी गुरु नहीं होता उसे नुगरा कहा जाता है। गुरु पूर्णिमा का महत्व अपने देश में बहुत है। गुरु पूर्णिमा के दिन सभी शिष्य अपने गुरु के पैर छूकर आशीर्वाद प्राप्त करते है।
गुरु पूर्णिमा क्यो मनाई जाती है ?
गुरु का महत्व तो आप सब लोग जानते ही होगे। आज अपने देश में गुरु का स्थान सबसे ऊँचा और श्रेष्ठ माना जाता है। आज के समाज और देश के लिए गुरु का महत्व बहुत ही अनिवार्य है। गुरु के बिना संसार अधूरा है। जीवन मे यदि गुरु ना हो तो अपना जीवन व्यर्थ है। जिसके जीवन में एक भी गुरु नहीं होता उसे नुगरा कहा जाता है। गुरु पूर्णिमा का महत्व अपने देश में बहुत है। गुरु पूर्णिमा के दिन सभी शिष्य अपने गुरु के पैर छूकर आशीर्वाद प्राप्त करते है।
गुरु और शिष्य |
कहा जाता है की ई. 3000 साल पहले महर्षि वेदव्यास जी का जन्म आषाढ महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन हुआ था। वेदव्यास जी को सबसे महान और सबसे पुराने गुरु माना जाता है। उन्होंने कई सारे ग्रन्थ, वेद और उपनिषदो की रचना की थी। उन सारे ग्रन्थो को पढ़के आज हम बहुत ही ज्ञानी और समझदार हो सके है। इसकी वजह से वेदव्यास जी को सबसे पुराने गुरु माना जाता है और उनके जन्म दिन के समय से गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है।
जो हमे जीने की सही राह दिखाते है और अच्छे संस्कारो का अपने भीतर सर्जन करते है वो हमारा गुरु होता है।
ऐसा नहीं है की हमे स्कूल में शिक्षा देने वाले शिक्षक ही हमारे गुरु है। वो तो है ही गुरु लेकिन उसके अलावा हमारे माता-पिता हमारे बड़े गुरु है। क्योकि वे हमें जन्म से ही शिक्षा देते है अच्छे संस्कारो की और स्वभाव की। हम जिस भी क्षेत्र में काम करते है और उसके बारे में सिखाने वाला भी हमारा गुरु ही है। जिसके जीवन में कोई गुरु नहीं होता वो संस्कार और स्वभाव से बहुत ही खराब होता है।
गुरु पूर्णिमा का महत्व:
गुरु पूर्णिमा को हमारे देश में बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। गुरु और शिष्य का दिन है गुरु पूर्णिमा। गुरु पूर्णिमा के दिन शिष्य अपने गुरु की पूजा करता है। कई भक्त अपने गुरु और संतश्रीओ की पूजा करते है। कई भक्त महान संत, गुरु, और महा पुरुषो की समाधि पर फूल चड़ाते है और उनकी पूजा करते है।गुरु पूर्णिमा के दिन पुराने वेद और ग्रन्थ, महान पुस्तके, भगवद् गीता जैसे महान पुसतको के पाठ और पूजा करते है। महान ग्रंथो की वजह से आज देश में कितनी तरक्की कर सके है। महान वैज्ञानिक इन वेदो और उपनिषदो के उपयोग से विज्ञान क्षेत्र में बहुत ही तरक्की कर सके है। युही नहीं मनाई जाती गुरु पूर्णिमा, अपने जीवन में गुरु पूर्णिमा का महत्व बहुत ही अनेरा है।
संत कबीरदासजी का दोहा उपर के फोटो में दिया गया है।
गुरु गोविंद दोऊ खड़े काको लागूं पायं।
बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय।।
गुरु गोविंद दोऊ खड़े मतलब की कबीरदास कहते है की गुरु और भगवान दोनो मेरे सामने खड़े है। काको लागू पाय मतलब की किसको प्रणाम करू। बलिहारी गुरु आपने मतलब की धन्य है गुरु आपको, गोविंद दियो बताय मतलब की गुरु कहे तु भगवान को प्रणाम कर।
कबीरदास के सामने गुरु और भगवान दोनो खड़े है। अब कबीर दास विपदा में है की पहले प्रणाम किसे करू। तब गुरु बताते है की पहले तु भगवान को प्रणाम कर। क्योंकि भगवान ही सबसे महान है। उसने इस सृष्टि का सर्जन किया है। तब कबीरदास कहते है की धन्य है आपको गुरु की आपने मुझे पहले भगवान को प्रणाम करने को कहा।
गुरूर् ब्रह्मा गुरूर् विष्णु गुरूर् देवों महेश्वर।
गुरु साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः।।
गुरु को ईश्वर के समान माना जाता है। गुरु ब्रह्मा है, गुरु भगवान विष्णु है। गुरु भगवान शंकर है। गुरु साक्षात भगवान का रूप है। बार बार भगवान समान गुरु को आप नमन करो। तो जीवन के सारे दुःख भाग जाएँगे।
गुरु का महत्व आज सारे जहा को पता है। हम सब लोग गुरु का महत्व जानते है। गुरु की वजह समाज में आज बहुत सारे महान विद्वान पैदा होते है। इस साल की गुरु पूर्णिमा की आप सबको हार्दिक शुभकामनाएँ।
2020 गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण:
2020 साल की गुरु पूर्णिमा 5 जुलाई 2020 के दिन थी, और इस साल चंद्र ग्रहण गुरु पूर्णिमा के दिन लगा था। ये चंद्र ग्रहण उपच्छाया चंद्र ग्रहण था। ये चंद्र ग्रहण भारत में नहीं दिखा था। चंद्र ग्रहण 8 बजकर 38 मिनट को शुरू हुआ और 11 बजकर 21 मिनट पर समाप्त हुआ था।
उपच्छाया चंद्र ग्रहण दरसल चंद्र है वो पृथ्वी के परछाई के भाग में आने से होता है। इसमें चंद्र एकदम से ढक नहीं जाता बल्कि वो थोड़ा मेला दिखता है क्योंकि उस पर पड़ने वाले सूर्य के किरणों की संख्या कम हो जाती है।
इस साल का चंद्र ग्रहण का सुतक मान्य नहीं होगा।
गुरु पूर्णिमा का महत्व:
गुरु पूर्णिमा को हमारे देश में बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। गुरु और शिष्य का दिन है गुरु पूर्णिमा। गुरु पूर्णिमा के दिन शिष्य अपने गुरु की पूजा करता है। कई भक्त अपने गुरु और संतश्रीओ की पूजा करते है। कई भक्त महान संत, गुरु, और महा पुरुषो की समाधि पर फूल चड़ाते है और उनकी पूजा करते है।गुरु पूर्णिमा के दिन पुराने वेद और ग्रन्थ, महान पुस्तके, भगवद् गीता जैसे महान पुसतको के पाठ और पूजा करते है। महान ग्रंथो की वजह से आज देश में कितनी तरक्की कर सके है। महान वैज्ञानिक इन वेदो और उपनिषदो के उपयोग से विज्ञान क्षेत्र में बहुत ही तरक्की कर सके है। युही नहीं मनाई जाती गुरु पूर्णिमा, अपने जीवन में गुरु पूर्णिमा का महत्व बहुत ही अनेरा है।
कबीरदासजी का दोहा |
संत कबीरदासजी का दोहा उपर के फोटो में दिया गया है।
गुरु गोविंद दोऊ खड़े काको लागूं पायं।
बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय।।
गुरु गोविंद दोऊ खड़े मतलब की कबीरदास कहते है की गुरु और भगवान दोनो मेरे सामने खड़े है। काको लागू पाय मतलब की किसको प्रणाम करू। बलिहारी गुरु आपने मतलब की धन्य है गुरु आपको, गोविंद दियो बताय मतलब की गुरु कहे तु भगवान को प्रणाम कर।
कबीरदास के सामने गुरु और भगवान दोनो खड़े है। अब कबीर दास विपदा में है की पहले प्रणाम किसे करू। तब गुरु बताते है की पहले तु भगवान को प्रणाम कर। क्योंकि भगवान ही सबसे महान है। उसने इस सृष्टि का सर्जन किया है। तब कबीरदास कहते है की धन्य है आपको गुरु की आपने मुझे पहले भगवान को प्रणाम करने को कहा।
गुरूर् ब्रह्मा गुरूर् विष्णु गुरूर् देवों महेश्वर।
गुरु साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः।।
गुरु को ईश्वर के समान माना जाता है। गुरु ब्रह्मा है, गुरु भगवान विष्णु है। गुरु भगवान शंकर है। गुरु साक्षात भगवान का रूप है। बार बार भगवान समान गुरु को आप नमन करो। तो जीवन के सारे दुःख भाग जाएँगे।
गुरु का महत्व आज सारे जहा को पता है। हम सब लोग गुरु का महत्व जानते है। गुरु की वजह समाज में आज बहुत सारे महान विद्वान पैदा होते है। इस साल की गुरु पूर्णिमा की आप सबको हार्दिक शुभकामनाएँ।
2020 गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण:
2020 साल की गुरु पूर्णिमा 5 जुलाई 2020 के दिन थी, और इस साल चंद्र ग्रहण गुरु पूर्णिमा के दिन लगा था। ये चंद्र ग्रहण उपच्छाया चंद्र ग्रहण था। ये चंद्र ग्रहण भारत में नहीं दिखा था। चंद्र ग्रहण 8 बजकर 38 मिनट को शुरू हुआ और 11 बजकर 21 मिनट पर समाप्त हुआ था।
उपच्छाया चंद्र ग्रहण दरसल चंद्र है वो पृथ्वी के परछाई के भाग में आने से होता है। इसमें चंद्र एकदम से ढक नहीं जाता बल्कि वो थोड़ा मेला दिखता है क्योंकि उस पर पड़ने वाले सूर्य के किरणों की संख्या कम हो जाती है।
इस साल का चंद्र ग्रहण का सुतक मान्य नहीं होगा।
No comments:
Post a Comment