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Friday, August 28, 2020

Agar Bachpan laut Aye To- अगर बचपन लौट आए तो Essay in hindi | बचपन की मस्ती | बचपन के यादगार दिन | बचपन - जीवन का सुनहरा पल | Essay on Bachapan in hindi

 Bachapan (बचपन) 

अगर बचपन लौट आए तो.... 

  हमारी कल्पना भी कितनी अजीब है, की हमारा बचपन लौट आये। ये तो नहीं हो सकता की बचपन लौट आये लेकिन हम बचपन की यादों में वापिस जा सकते है। एक बार जो समय बीत जाता है, वह वापिस तो नहीं आ सकता है। लेकिन हमारे जीवन में यादें, एक ऐसा शब्द है जिसे हम किसी भी समय पर वापिस ला सकते है। फ़िर भी यदि ऐसा कुछ चमत्कार हो जाए और हम फ़िरसे अपने बचपन में चले जाए तो सचमुच बड़ा मजा आ जाए। बचपन में पढ़ाई का टेंशन ही नहीं होता, यही सबसे बड़ी खुशी है। बचपन की मस्तीया, सरराते, वह अपने गाँव की स्कूल मे जाने का मज़ा आज भी जब याद करता हूँ तो आँखें नम् सी हो जाती है। 

Childhood


बचपन में पढ़ाई का टेंशन कम हो जाए :

अभी तो में कॉलेज में हु और में  बड़ा हो चुका हु। आज हमारे सिर पर पढाई का जो बोझ है वो कितना सहन करना पड़ता है। लेकिन अगर बचपन लौट आये तो पढाई का बोझ कम हो जाए। न गणित, विज्ञान, समाजशास्त्र जैसे विषयों को पढ़ना पड़े। उनके लंबे लंबे और बड़े प्रश्नो को हल करना पड़े। उनसे पूरा छुटकारा मिल जाए। न सुबह जल्दी उठके स्नान करने का, न स्कूल जाने के लिए जल्दी तैयार होने का। मै बचपन में वैसे मेरे गाँव की स्कूल में पढ़ता था। वहाँ सुबह दस बजे स्कूल जाने का समय था। हम छोटे छोटे बच्चे सब साथ में स्कूल जाते और मासुमियत भरी बाते करते। स्कूल जाते समय अगर रास्ते में कोई ट्रक या वेन दिखाई देती तो हम छुप जाते क्युंकि गाड़ी को देख के लगता की पक्का ये चोर की गाड़ी है और हमें उठा ले जाएँगे। ये डर बचपन का बड़ा ही याद आता है। फ़िर स्कूल के वह खेल, स्कूल के वह त्योहारों को मनाना, स्कूल में दोपहर का भोजन बड़ा मजा आता था। स्कूल की परीक्षा का कोई टेंशन नहीं था क्योंकि हमारे शिक्षक ही पेपर लिखवाते थे। बचपन का सबसे हसीन पल है तो वह हमारा प्राथमिक स्कूल का जीवन। 

School days


बचपन की शरारते :

सबसे प्यारी उम्र बचपन की ही होती है। हमारा बचपन सुबह के सुनहरे सूरज के भाँति था। सूरज की वह हल्की हल्की किरने जैसा हमारा बचपना कितना हसीन था? अगर कभी समय मिले तो अपने बचपन के बारे में सोचना, आपके आँखों में आँसु न आए तो बोलना। यदि बचपन हमारा लौट आए तो वह मस्ती फ़िरसे वापस आ जाए। पुरा दिन बाल मित्रो के साथ बस खेलता ही रहु, खेलता ही रहु। किसीके फलो के बाग़ीचे में से आम, चीकू, अनार, जामुन आदि कई फल तोडू। फ़िर वहाँ का मालिक हमारे पीछे दौड़े और में इतना तेज़ भागु की उसे पकड़ने ही नहीं दु। बचपन में मिठाई को छुपकर खाने का मजा कुछ और होता है। आज घर में किसीसे कुछ माँगना हो तो हिचकिचाते है। लेकिन अगर बचपन में तो जिद पकड़के कुछ ना कुछ मांग ही लेते थे और यदि जिद पूरी ना हो तो रूठ जाते थे। उसके बाद परिवार के सब लोग मनाते और अपनी गोद में उठाकर तुरंत मेरी इच्छा पूरी करते। लेकिन वो बचपन की माँगे बड़ी मासूम हुआ करती थी। बचपन में अगर कोई हमें 10 रुपए की नोट देता तो मै न लेता क्युकी बचपन में सिक्को से प्यार था। कोई एक रुपया भी दे देतो बड़े ख़ुश हो जाते। कभी कभी जिद पे आ जाते सिक्को के लिए तो। बचपन में त्योहार मनाने का मजा आ जाता है। दादा दादी से कहानिया सुनने का बड़ा मजा आता था।

आजकल आम भी पेड़ से खुद गिरके टूट जाया करते हैं, छुप छुप के इन्हें तोड़ने वाला अब बचपन नहीं रहा। 

Childhood Memory

बचपन की यादें:

हम कभी बाहर घूमने जाते तो नई नई चीज़ देखना और उनके बारे में अजब गजब विचार करना, यही तो बचपन का मजा था। यदि बचपन लौट आये तो हमारे सारे खर्च कम हो जाए और किसी भी चीज़ का टेंशन न रहे। एक बार मै जब छोटा था तो बाथरूम में चला गया और फ़िर अंदर से दरवाजा लोक कर दिया। फ़िर दरवाजा खोलना नहीं आता था तो रोने लगा। फ़िर सब घरवाले दोड़ते आये और समझाने लगे की रोने का बंद करो और सांत रहो। लेकिन मै रोने का बंध नहीं कर रहा था। फ़िर उपर से पूरी छत को उखाड़ के मुझे अंदर से बहार निकाला। ये बचपन का किस्सा याद करते ही मै हँस हँस के पागल हो जाता हु। बचपन के लौट ने की सिर्फ कल्पना ही कर सकते है। वो लौट के वापस तो नही आ सकता। 

Child Group



हमारी बचपन की कल्पना के लिए तो आसमान भी छोटा पड़ जाए। उड़ते पक्षिओ को देखकर हमारा मन भी कहने लगता काश मै भी ऐसे उड़ पाता। बरसात में कागज की नाव बनाकर घर के बाहर तेराते थे। कोई मजाक करता की पैसों का पेड़ होता है तो कल्पना करते की मै भी एक रुपया बो देता हु फिर पैसे ही पैसे हो जाएँगे। आज भी अगर बचपन का समय याद करता हु तो खुशी कम लेकिन दर्द ज्यादा होता है क्युकी उस समय को खोकर आज बड़ा ही दुःखी हु। बचपन जैसा वक़्त कभी नही आ सकेगा। इसलिए बचपन को याद करता हु तो मेरी आँखे भर आती है। बचपन में थे तो सोचते थे की मै भी बड़ा हो जाऊ और गाड़िया चलाउ। लेकिन आज पता चला की काश फ़िरसे बचपन में लौट जाऊ। नहीं चाहिए ये जवानी और बुढ़ापा, क्युकी बचपन ही है जीवन का असली मसाला। 

बचपन आर्थिक लाभ
अगर बचपन लौट आये तो सब खर्च कम हो जाए जैसे मेरे कपड़ो का खर्च, पढाई का खर्च, गाड़ी - बस का आधा किराया हो जाए। बचपन मे किसी तरह का दिखावा नहीं किया जाता। कपड़ो का ठिकाना नहीं होता था फ़िर भी बहार चल पड़ते थे, लेकिन आज पुराने कपड़े पहनकर बहार जाने मे भी शर्म आती है। बचपन मे स्कूल ड्रेस पूरा दिन इस खुशी मे पहनकर घूमते की कल छुट्टी है तो धूल जायेगा। 

ऐसे मधुर, मीठे, भोले, निर्दोष और हठी बचपन को कैसे भूल सकते है! 

बचपन का अर्थ :
  • बाल्यकाल; बच्चा होने का भाव या दशा; लड़कपन।
  • बाल्यावस्था, लड़कपन, बाल्यकाल, अल्पायू, बच्चा होने का भाव, किशोरावस्था
  • नासमझी, अनाड़ीपन
बचपन की शायरी:

1. बचपन के दिन भी कितने अच्छे होते थे
तब दिल नहीं सिर्फ खिलौने टूटा करते थे
अब तो एक आंसू भी बर्दाश्त नहीं होता
और बचपन में जी भरकर रोया करते थे।

2. वक्त से पहले ही वो हमसे रूठ गयी है, बचपन की मासूमियत न जाने कहाँ छूट गयी है।

3. अपना बचपन भी बड़ा कमाल का हुआ करता था,ना कल की फ़िक्र ना आज का ठिकाना हुआ करता था।

4. चलो के आज बचपन का कोई खेल खेलें, बडी मुद्दत हुई बेवजाह हँसकर नही देखा। 

5. कितना आसान था बचपन में सुलाना हम को, नींद आ जाती थी परियों की कहानी सुन कर।




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