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Saturday, July 9, 2022

मेहंदी (Mehandi) | Best Use of mehndi tree- hindi article

 Mehandi :

         मेहंदी को तो हम सब जानते ही है। मेहंदी का नाम उसके पुष्पों की सुघन्ध को आधीन हैं। मेहंदी को संस्कृत मे 'मदयंतिका' कहते है। शरीर के अंगो को मेहंदी से रंगते है, इसलिए मेहंदी को "रागान्गी" भी कहा जाता है। बाग- बगीचे और खेतों आदि मे सरलता से उगता यह मेहंदी का पेड़ एक अनुपम औषध हैं।

मेहंदी के गुण :

         मेहंदी समग्र भारत मे होती है। मेहंदी के पेड़ 10 से 12 फीट या कभी कभी 20 फीट तक के पाए जाते है। मेहंदी का पेड़ अधिकतम गुजरात, पंजाब, राजस्थान वह मध्य प्रदेश मे पाए जाते है।

मेहंदी

         मेहंदी का स्वाद आयुर्वेद के अनुसार कड़वा और तुरा होता है। मेहंदी ठंडी, गरमी नाशक, कफ् और पित्त नाशक, उसके पान उल्टी (vomiting) कराने मे और जलन दूर करने मे उपयोगी है। बालों मे मेहंदी का रंग लगाने से दिमाग़ ठंडा रहता है। मेहंदी के पुष्पों की सुगन्ध मन को उत्तेजित करती है और ज्ञानतंतु वं ह्दय को शक्ति देती है। रसायन की दृष्टि से देखे तो मेहंदी के पान मे टैनिन 10.21% होता है। उसमें Lawsone(लोसोन्) नाम का रंजक द्रव्य होता है,  lewsone  (2-hydroxy-1,4-naphthoquinone) जिसे hennotannic acid भी कहा जाता है। मेहंदी का रंग लाल इसी को आभारी हैं।

मेहंदी का उपयोग

          मेहंदी का सबसे बड़ा गुण उसकी शीतलता यानी की ठंडक है। मेहंदी जलन को दूर करती है। पित्ताशय की जलन को शांत करने मे बहुत ही उपयोगी है। हाथ और पैरों मे ज्यादा जलन की प्रॉब्लम रहती हो तो मेहंदी के पत्तों को पीस कर उसे हाथ और पैर मे लगाने से राहत मिलती है। जलन के मामले मे हमे ज्यादा तीखा और खट्टा कम खाना चाहिए। फल, केला और पौष्टिक आहार जैसे दूध - घी लेना चाहिए। 

           मेहंदी जैसे पित्त नाशक है वैसे कफ् नाशक भी है। यह दोनों से अगर रक्त और त्वचा दूषित हुए हो तो मेहंदी बहुत ही उपयोगी होती है। २०० ग्राम मेहंदी के सूखे पत्तों को पीस के बारीक चूर्ण बनाने का उसमे १०० ग्राम गंधक ( एक अधातु तत्व है जिसे सल्फर (s) कहा जाता है) मिलाकर उसको अच्छे से मिक्स करके चूर्ण बना लेने का। यह चूर्ण एक से दो ग्राम जितना सुबह शाम खाने के बाद लेने से त्वचा के रोगों मे बहुत ही अच्छा फ़ायदा मिलता है। 

मेरी प्रिय ऋतु- वसंत : Read more

           मेहंदी गरमी का नाश करके ठंडक प्रदान करती है। गर्मी की ऋतु मै जिसे नकसीर (Nose Bleeding) का प्रॉब्लम हो उसके लिए बहुत ही उपयोगी है, मेहंदी। नकसीर होने के कई कारण होते हैं जैसे नाक में एलर्जी, किसी अंदरूनी नसों या ब्लड वेसल्स के डैमेज होने, अत्यधिक गर्मी, शरीर में पोषक तत्वों की कमी, साइनस, मलेरिया, टाइफॉएड, बहुत अधिक छींकना, नाक को बहुत अधिक रगड़ना आदि। इसके लिए मेहंदी के पत्तों को पीस कर पेस्ट बना लेने की। इस पेस्ट को कपड़े की एक लम्बी पट्टी पर लगा कर पट्टी को शीर पर लगभग आधे घँटे तक बांधकर रखने से फ़ायदा मिलता है। हर रोज रात को यह १५ दिनों तक करने से शरीर की गरमी दूर हो जाती है और नाक मे से रक्त स्त्राव बंध हो जाता है, यानी की नकसीर की प्रॉब्लम से छुटकारा मिलता है। 

           मेहंदी शरीर के अंदर होने वाला रक्त स्त्राव भी अटका सकती है। अगर किसीको loose motion (दस्त) रक्त मिश्रित होता है तो उनको मेहंदी के बीज का चूर्ण बनाकर, आधा चम्मच चूर्ण सुबह शाम घी और शक्कर के साथ लेने से बहुत ही फ़ायदा मिलेगा। 

     यह है घरेलू उपचार, की मेहंदी के पेड़ से हम सरलता से इन रोगों से बच सकते है। मे गुजरात से हूँ, तो हमारे गुजरात मे मेहंदी पर एक गरबा है- 

" મેંદી તે વાવી માળવે ને એનો રંગ ગયો ગુજરાત રે..... મેંદી રંગ લાગ્યો રે...."

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