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Thursday, July 16, 2020

मेरी प्रिय ऋतु- वसंत हिन्दी निबंध | ऋतु परिचय | वसंत ऋतु की प्रकृति | Essay on Spring season in hindi

मेरी प्रिय ऋतु - वसंत ऋतु पर हिन्दी निबंध (spring season) 

मेरी प्रिय ऋतु : वसंत ऋतु

भारत देश ऋतुओं का देश है। वसंत ऋतु, ग्रिष्म, वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर इन छ: ऋतु का जो सुंदर क्रम हमारे देश में है, वह दूसरी जगह दुर्लभ है। प्रत्येक ऋतु का एक अपना आकर्षण है। पर इन सभी ऋतु में मुझे वसंत ऋतु सबसे अधिक प्रिय है। वसंतऋतु का आगमन ही मेरे अंदर एक नई ऊर्जा का संचार है। वसंत ऋतु मे प्राकृतिक स्थानों की सैर करने से मन को नई ऊर्जा प्राप्त होती है। 


मन को छूने वाली फ़ोटो

मेरी प्रिय ऋतु का परिचय:
सचमुच, वसंत की वासंती दुनिया सबसे निराली है। शिशिर ऋतु जब खत्म हो जाती है उसके बाद वसंत ऋतु का आगमन हो जाता है। माघ महीने की पंचमी से ही वसंत की शुरुआत हो जाती है। यह ऋतु फरवरी से अप्रैल तक रहती है। यह ऋतु न ज्यादा गर्म होती है और न ही ज्यादा ठंडी। वसंत ऋतु मे आकाश पुरा स्वच्छ और साफ़ होता है। इस ऋतु मे बिलकुल बारिस न होने की वजह से जमीन भी निराली दिखती है और मक्खी और मच्छारो का उपद्रव भी कम होता है। 


वसंत ऋतु की निराली प्रकृति 
    वसंत ऋतु में बहुत ही आकर्षक दिखती है, प्रकृति!!  बागों में और वनों में प्रकृति वसंत के स्वागत में लग जाती है। कलिया अपने घूँघट खोल देती है। फूल अपनी सुगंध चारों ओर फैला देते है। भौंरे गूंज उठते है और तितलियाँ अपने चमकीले रंगों से ऋतुराज का स्वागत करने के लिए तैयार हो जाती है।पृथ्वी के कण कण में नया आनंद, नया उमंग, नया उत्साह, नया संगीत और नया जीवन नजर आता है।


जब सारी प्रकृति वसंत में झूम उठती है, तब मेरा मन भी खुशी के मारे झूम उठता है। सचमुच वसंत की शोभा इतनी रमणीय होती है की जीवन में एक अलग तरह का उमंग भर जाता है। एक ओर ठंडे ठंडे , मंद, सुगन्धित पवन के झोके मन को प्रफुल्लित कर देते है। दूसरी ओर फुलवारियों का यौवन बुड्ढो को भी जवान कर देता है। खिलती कलियों को देखकर मेरा दिल भी खिल उठता है। न तो गर्मी होतीं है और शीतल पवन के झोके का आंनद ही कुछ और होता है। एक ओर प्रकृति के रंग और उपर से होली का त्योहार! जैसे सोने में सुगंध मिल जाती है। ऐसा मन को प्रफुल्लित करने वाला फागुन का वसंत मुझे बहुत ही प्रिय लगता है।




कुछ लोग वर्षा को वसंत से अच्छा मानते है। वैसे वर्षा भी इतनी आवस्यक है क्योंकि उससे किशान अपनी फसलों को लहराते है। लेकिन कहाँ वर्षा का कीचड़ वाला मौसम और कहा वसंत की बहार! वह वर्षा जो धरो को धरसायी करती है, फसलों पर पानी फेरति है। नदियों को पागल करके गाँव के गाँव डूबा ले जाती है, इस ऋतु में कैसे मजा आ सकता है। इसी तरह शरद ऋतु की भी शोभा वसंत ऋतु के सामने फ़ीकी पड़ जाती है। वसंत सचमुच ऋतुराज है। अन्य ऋतुए उसकी रानियाँ या फ़िर सेविका ही हो सकती है।

जीवन जीने का तरीका:Read more

मैं तो वसंत को जीवन की ऋतु मानता हु। उसका आगमन होते ही मेरा मन खुशी के मारे ज़ूम उठता है। और मेरी कल्पना, जो विचार का सागर है वो छलकने लगता है। फूलों के बागों में सैर करके मन ही नहीं भरता, ऐसा लगता है जैसे बस ये वक़्त यही थम जाए और ऐसी ही शोभा पूरी जिंदगी बनी रहे। मेरी आँखों पर तो जैसे प्रकृति के आकर्षण का लैंस लग जाते है और दिल में तो मानो जैसे खुशियोँ की बाढ़ आ जाती हो ऐसा अनुभव होता है वसंत ऋतु में। वसंत ऋतु की रानी जब मन खोल के गीत सुनाती है वो दृश्य तो आ हा हा हा! जी हा कोयल रानी की मधूर् आवाज की तो बात ही क्या करनी जैसे वो इस समय का बरसों से इंतज़ार करती हो  और उसके आने से सारी खुशियाँ बहार निकाल देती है। वसंत ऋतु मे तितलियाँ तो मानो जैसे मेले में घूमने के लिए आई हो। वसंत ऋतु तितली को फूलों से प्यार और भौंरे को गुनगुनाना सिखाती है।

वसंत ऋतु के त्योहार :
 वसंत ऋतु मे वसंत पंचमी, महाशिवरात्रि और होली के त्योहार आते है। वसंत ऋतु मे वसंतोत्सव मनाया जाता है। वसंत ऋतु के आगमन मे यह उत्सव मनाया जाता है। और इसी ऋतु मे माघ महीने की पंचमी के दिन वसंत पंचमी मनाई जाती है, जिसे रंग पंचमी भी कहा जाता है। वसंत पंचमी के दिन माँ विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। इसी ऋतु मे होली का यानी रंगो का त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है। वसंत मे भगवान शिव शंकर का शिवरात्रि का त्योहार भी  बड़े उत्साह से मनाया जाता है। हमारे संगीत मे एक राग भी इसी ऋतु पर है जिसे राग वसंत कहा गया है। 

वसंत ऋतु की पौराणिक कथाएँ:
 पुराणों की कथाओ के अनुसार वंसत ऋतु मे कामदेव के यहाँ पुत्र प्राप्ति होती है। जिससे प्रकृति मे खुशी की लहर आ जाती है और पेड़ पौधे अपने पर्णो से एवं पुष्पों से वातावरण को लहरा देते है। इसीलिए वसंत को कामदेव का पुत्र भी कहा जाता है। 
जब रावण ने सीता का हरण किया था तब भगवान राम दंडकारण्य वन (गुजरात के डांग जिले में यह स्थान है।) मे आये थे। यहाँ  दंडकारण्य वन मे शबरी मा का आश्रम था। वसंत पंचमी के दिन भगवान श्री राम इसी स्थल पर आये थे और आज भी इस क्षेत्र के वनवासी एक शिला की पूजा करते है। इस शिला से उनकी श्रधा जुड़ी हुई है की श्री रामजी यही आकर बैठे थे और यहा शबरी माता का मंदिर भी है। 

उपसंहार
 ऐसी अनोखी और मन भावी, प्यारी और रमणीय, खुशियाँ देने वाली और हरख लाने वाली, जीवन में नए रंग भरने वाली और फूलों की ऋतु है मेरी प्यारी वसंत ऋतु! मैं सालभर इसकी प्रतिक्षा करता रहता हुँ।

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