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Monday, August 17, 2020

Top 8 best points of Summary writing in hindi| Summery writing| बेस्ट 8 points संक्षेप लेखन

01. भारत की विरासत:


  भारत अपनी धर्म-निष्ठा, प्राचीन आदर्श संस्कृति एवम् महान सभ्यता के कारण ही विश्व के राष्ट्रो में अग्रणी तथा सर्वश्रेष्ठ रहा है। धर्म, सभ्यता, संस्कृति और देववाणी संस्कृत भाषा हमारे देश की हमेंशा ही अनुपम धरोहर और पुनीत आदर्श रहे है। जिस दिन भारत अपने इन आदर्शो और संस्कृति को विस्मृत यानी की भूल जाएगा तथा उनसे च्युत होकर भ्रष्ट हो जाएगा, तब भारत, भारत नहीं रहेगा। हमारे देश की उन्नति का मंत्र, हमारे देश की संस्कृति, सभ्यता, हमारी निष्ठा और कर्तव्य, हमारी मधुर भाषा और प्रेम तथा सदाचार ही है। बिना इन आदर्श गुणों के हमारा देश निर्जीव, शक्तीहीन हो जाएगा। बिना आध्यात्मिक उन्नति के किसी भी देश की वास्तविक उन्नति सर्वथा असम्भव है। प्रत्येक देशवासी जब इन आदर्श गुणों का पालन करेगा तभी देश उन्नति कर सकेगा। 

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02. साहसी व्यक्ती की पहचान :

  साहस की जिन्दगी सबसे बड़ी जिन्दगी है। ऐसी जिंदगी की सबसे बड़ी पहचान यह है की वह बिलकुल निडर और बेखौफ़ होतीं है। साहसी मनुष्य की पहली पहचान यह है की वह इस बात की तमाशा देखनेवाले उसके बारे में क्या सोच रहे है? जनमत की उपेक्षा करके जीने वाला व्यक्ती दुनिया की असली ताकत होता है और मनुष्यता को प्रकाश भी उसी आदमी से मिलता है। अड़ोस पड़ोस में देख के चलना ये साधारण जीव का कार्य है। क्रांति करने वाले लोग ना तो पड़ोसी के उदेश्य से करते है और अपनी चाल को ही पड़ोसी की चाल देखकर माध्यम बनाते है। जो क्रांतिकारी लोग होते है वो कभी किसी की नकल नहीं करते और अपना रास्ता अपने आप बनाते हैं। 

03. साहित्य की उपयोगिता:

  जीवन में साहित्य की उपयोगिता आवस्यक है। साहित्य मानवजीवन को वाणी देने के साथ समाज का पथ प्रदर्शन भी करता है। उपयोगिता की दृष्टि से देखे तो साहित्य के अनेक लाभ है। साहित्य मानव जीवन के अतीत का ज्ञान कराता है। वर्तमान का यथार्थ चित्रण करता है और भविष्य के निर्माण की प्रेरणा देता है। प्रत्येक आनेवाला समाज और युग इनसे प्रेरणा लेता है। साहित्य ही हमें मनुष्य की कोटि में बनाये रखता है। किसी समाज का साहित्य क्षीण होने लगे तो वह समाज भी रसातल को चला जाता है। साहित्य समाज के साथ कार्य करते हुए भी समाज के लिए प्रकाश के स्तंभ का कार्य करता है। साहित्य का आलोक- पुंज सूर्य की भाँति समाज के समस्त विकारों का हरण करता है तभी वह सत्-साहित्य कहलाने का अधिकार होता है। 

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04. जीवन जीने की कला:

 जीवन एक अनमोल निधि है। यदि आप किसी कारण वश उसका समुचित लाभ अथवा आनंद नही उठा पाते, तो आपका पहला कर्तव्य है की आप अपनी वर्तमान परिस्थिति का अच्छी तरह से विश्लेषण करे की आपकी समस्या क्या है, इस भली भाँति समजे और और अपनी मुश्किल को दूर करने का उपाय सोचे। इसके विपरीत यदि आप अपनी परिस्थियों को अपने उपर हावी होंने देते है और अपने वास्तविक तथा कल्पित कष्टों से अपने मन को दुःखी बनाये रहते हो, तो आप जीवन का रस नहीं ले सकते। बहुत संभव है, आपका कष्ट आर्थिक हो। परिवार के कई लोगो के भरण पोषण के लिए आपको अप्रिय अथवा आपको जिसमे रुचि न हो ऐसे कार्य भी करने पड़े, आपको काफी वेतन न मिलता हो अथवा किसी गंभीर कष्ट से आप दबे हो, लेकिन घबराने से क्या इन सबका निराकरण हो जाएगा? इसीलिए समस्या से डरिये मत, उसकी शिकायत मत कीजिए, बल्कि जूजने के लिए तैयार हो जाइए। निडर होके उनका सामना करके ही मनुष्य सुखी हो सकता हैं। 

05. भ्रष्टाचार :

   आज भ्रष्टाचार हमारे उपर बुरी तरह हावी हो गया हैं। इसी कारण देश में हर जगह असत्य, अनाचार, कालाबाजारी, सिफारिस, रिश्वत, जमाखोरी, मुनाफाखोरी आदि का खुल के तांडव नृत्य हो रहा है। ऐसी स्थिति में कोई देश कैसे उन्नति कर सकता है? भारत जैसे स्वतंत्र देश के लिए प्रशासन का भ्रष्टाचार एक अभिशाप है, कलंक है। राष्ट्र के इस प्रबल शत्रु को मारने के लिए क्रांतिकारी कदम उठाने की आवश्यकता है। लेकिन यह तभी संभव है जब यहाँ के देशवासियों में नैतिक और चरित्र बल हो। इसकी पूर्ति के लिए जनता को स्वार्थपरता, नेताओं को खुर्सी का मोह, अपने-पराये, जातिवाद आदि की भावना को त्यागना होगा। अन्यथा भ्रष्टाचार की स्थिति में हमारी समस्त योजनाए और विकास कार्यक्रम भली भाँति कार्यान्तिव नहीं हो सकते। यदि यह भ्रष्टाचार पनपता ही रहा, तो हमारी स्वतंत्रता खतरे में पड़ जाएगी। 

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06. प्रेम का महत्व :

  प्रेम एक ऐसी अलौकिक शक्ति है, जिससे मनुष्य को अनंत लाभ मिलते है। प्रेम से मानसिक विकार दूर होते है, विचारों में कोमलता आती है, सद्गुणों में पुष्टि होती है, दुखों को नाश और सुखों की वृध्धि होती है। और यहाँ तक की मनुष्य की आयु भी बढ़ती है। प्रेम ही मनुष्य को साहसी, धीर और सहनशील बना सकता है। माता अपनी संतान के  लिए अनंत कष्ट सहन करके और स्वयं को सब प्रकार के दुःख भोगकर उसे सुख देती हैं। माताओं को बहुधा ऐसी अवस्था में रहना पड़ता है, जिसमें यदि प्रेम का सहारा न हो तो वे बहुत शीघ्र बीमार हो जाए, पर वह प्रेम उन्हे रोगी होने से बचाता है। उल्टे शुद्ध प्रेम उन्हे बलिष्ठ और सुंदर बनाते है। बिना प्रेम के अच्छी सुख सामग्री भी हमें तनिक भी प्रसन्न नही कर सकती। लेकिन प्रेम की सहायता से हम बिना और किसी भी सुख सामग्री के भी परम सुखी हो सकते है। अत: प्रत्येक मनुष्य को अपना स्वभाव मिलनसार और प्रेमपूर्ण बनाना चाहिए। 

07. फ़िल्मों के गीत :

अंधी व्यावसायिकिता के कारण हिंदी फिल्मो के स्तर की चाहे जितनी आलोचना होती रहे, लेकिन हिंदी फिल्मो के गानों को बहुत सराहना मिली है। इन गीतों का बहुत बड़ा योगदान भी माना जाता है। राष्ट्रीय एकता अखंडता का क्षेत्र हो अथवा हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार का, हिंदी फिल्मी गीतों ने बड़ी भूमिका निभाई है। यही  कारण है  की लोग यह मानते है कि हिंदी भाषा के प्रचारक और हिमायती तथा सरकार जो काम नहीं कर सके, वह काम हिंदी फिल्मो के गानों ने कर दिखाया। सरकार तथा हिंदी के तथाकथित ठेकेदार हिंदी को राष्ट्र भाषा का दर्जा दिलाने में बुरी तरह असफ़ल रहे है। हिंदी गानों ने हिंदी को घर घर पहुँचा दिया है। चाहें वो बंगाल हो या केरल, तमिलनाडु हो या महाराष्ट्र। कितने आश्चर्य की बात है की हिंदी का विरोध करने वाले भी हिंदी गानों पर जुमते नज़र आते है। अपने भीतर एक लगाव महसूस करते है। यकिनन यह सहज हिंदी का जादू है। 

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08. पुस्तक का महत्व : 

पुस्तक का मानवजीवन मे बहुत महत्व है। मानव ने सर्वप्रथम पुस्तक का आरंभ अपने अनुभूत ज्ञान को विस्मृत से बचाने के लिए किया था। विकास के आदिकाल मे पत्ते, ताड़पत्र, कांस्य-पत्र, आदि साधन इस ज्ञान संग्रह के सहायक रहे है, ऐसा पुस्तक का इतिहास स्वयं बताता है। पुस्तके मानव को अपना अनुभव विस्तृत करने में सहायक है, साथ ही अपने पूर्वजो के सभी प्रकार के कृत्यो जीवित रखने की जिम्मेदारी भी संभाली हुई है। आज के युग में पुरातनवीर, धार्मिक महत्माओ, ऋषियों, नाटककारों, कवियो आदि का पता हम इन्ही पुस्तकों के सहारे पाते है। पुस्तके ही आंतराॅष्ट्रीय विचार क्षेत्र में विभिन्न देशों के दृष्टिकोणों को एक आधार पर सोचने के लिए बाध्य करती हैं। 


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