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Sunday, August 9, 2020

जन्माष्टमी 2022 | Essay on janmashtami in hindi | जानिए क्यों मनाई जाती हैं जन्माष्टमी?

 जन्माष्टमी 2022 :

हमारे जीवन में त्योहारों का बहुत महत्व हैं। हमारे त्योहार केवल मनोरंजन के साधन ही नहीं, किंतु उनके पीछे सांस्कृतिक, धार्मिक, राष्ट्रीय भावनाएँ छिपी रहती है। अपने राष्ट्रीय त्योहारों का विशेष महत्व हैं। उसमे से एक त्योहार है जन्माष्टमी- भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाने का दिवस।

 भगवान श्री विष्णु ने पृथ्वी को पाँप मुक्त करने के लिए भाद्रपद माह की अष्टमी को मध्यरात्रि गृहिणी नक्षत्र में भगवान श्री कृष्ण के रूप में अवतार लिया और पृथ्वी को पाँप मुक्त करवाया था। उस दिन से हर साल भारत में ही नहीं बल्कि कई देशों में जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता हैं। इस साल जन्माष्टमी का त्योहार 19 अगस्त 2022 शुक्रवार को हैं। इसी दिन हम श्री कृष्णा का व्रत भी कर सकते है।

Lord krishna

जाने क्यों और कैसे मनाई जाती है, जन्माष्टमी :

जन्माष्टमी यानी की भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव हर साल जोरों-सोरों  से मनाया जाता है और इस त्योहार की तैयारिया दो दिन से होंने लगती है। पूरे भारत में इसका माहोल आनंदित और देखने लायक होता हैं। चारों और का वातावरण श्री कृष्ण के रंग मे डूबा हुआ होता है। इस त्योहार को आस्था और श्रध्दा के साथ मनाया जाता हैं। भगवान श्री कृष्ण का जन्म देवकी और वासुदेव के पुत्र के रूप में हुआ था। इस त्योहार को लोग अपने धर्म के अनुसार अलग अलग रूप में मानते है। 


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जन्माष्टमी का पावन पर्व हर जगह कई तरीको से मनाया जाता हैं। कई जगह रंगो का खेल तो कई जगह फ़ुल और इत्र की सुगन्ध फेली हुई होतीं है और चारों और का वातावरण खुशनुमा होता हैं। कई जगह दही हांडी को फोड़ने की टोलिया होतीं है तो कई जगह श्री कृष्ण की हजारों तस्वीर के दर्शन होते हैं। कई जगह पर मंदिरों को विशेष रूप से सजाया जाता हैं। 

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दहीहांडी

जन्माष्टमी के पावन पर्व के दिन कई लोग उपवास रखते है तो कई लोग श्री कृष्ण की पूजा में तल्लीन हो जाते हैं। इस दिन भगवान श्री कृष्ण को जुला जुलाया जाता हैं और कई जगह पर रास लीला एवं गरबा का आयोजन होता हैं। सबसे खास सजाने जाना वाला मंदिर मथुरा का है। वहाँ लोगों की जन्माष्टमी के दिन लाखों की संख्या में भीड़ उमट जाती हैं। श्री कृष्ण के दर्शन के लिए लोग दूर दूर से मथुरा आते हैं। 

Krishna Radha

इस दिन श्री कृष्ण का जो व्रत रखता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है और उसकी मनोकामनाएं पूरी होतीं हैं। इस दिन कृष्ण की भक्ति मन पूर्वक की जाती है और घर में गीता का अध्ययन किया जाता हैं। सुबह जल्दी उठकर स्नान करके श्री कृष्ण का व्रत लिया जाता हैं और कृष्ण की मूर्ति को सजाकर उसे बिराजमान किया जाता हैं। बाद में उसकी पूजा अर्चना की जाती हैं। उस मूर्ति को पालने में बैठाकर जुला जुलाया जाता हैं। 

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मथुरा के राजा कंश का वध:

श्री कृष्ण की माता देवकी थी और उनके पिता वासुदेव थे। देवकी राजा कंश की बहन थी और कंश मथुरा के राजा थे। वे बड़े क्रूर, अत्याचारी और  निर्लज्ज राजा थे।जब कंश अपनी बहन को विवाह के बाद अपने रथ में ससुराल ले जाते है तब आकाश वाणी होतीं है की जिस बहन को तु इतनी खुशी से विदा कर रहे हो उसकी आठवीं संतान तुमहारे मृत्यु की वजह बनेगी। ये सुनकर कंश घबरा गया और उसने अपनी बहन को कारावास में बंध कर दिया। फ़िर देवकी के सात संतान का जन्म होता है वैसे वैसे कंश एक एक करके सबको मार देता हैं।जब आँठवे पुत्र श्री कृष्ण का जन्म हुआ तब उनको भगवान विष्णु ने संदेश दिया की वे कृष्ण को  गोकुल में माता यशोदा और बाबा नंद के पास छोड़ आये। जहाँ वो कंश से सुरक्षित रहेगा। फ़िर कृष्ण का जीवन वही गुजरा और उसी दिन से जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता हैं। फ़िर कृष्ण बड़े होके कंश का वध करते हैं और राजा के क्रूर कामों का अंत करते हैं।

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जब जब पृथ्वी पर पाँप बढ़ा है तब तब भगवान उसे मिटाने के लिए कई रूप लेकर आते है और पाँप को ख़तम किया हैं। इसीलिए हमें सदाचार और सत्कर्म से रहना चाहिए और पाँप जैसे अत्याचारी शब्द को हमारे जीवन से हटाके सदा सतकर्म के रास्ते पर चलना चाहिये। ये त्योहारों के जरिये हम कुछ अच्छा सोच सकते हैं। सचमुच, त्योहार हमारे जीवन में भाई-चारा,खुशियाँ, प्रेम, उमँग और उल्लास का सर्जन करते हैं। त्योहारों से जीवन धन्य बन जाता हैं। 

आप सभी को मेरी ओर से जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ। 

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