भ्रष्टाचार
भ्रष्टाचार प्रस्तावना:
आज कल भ्रष्टाचार शब्द हर जगह छा गया है। दुनिया और देश में हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार होने लगा है। भ्रष्टाचार आज शिक्षा पर बहुत ही बुरी तरह से छाया हुआ है। भ्रष्टाचार का मतलब है भ्रष्ट+आचरण। भ्रष्ट आचरण करने वाला व्यकति भ्रष्टाचार का देवता होता है।भ्रष्टाचार किसी व्यक्ति विशेष या समाज की नहीं बल्कि संपूर्ण राष्ट्र की समस्या है । इसका निदान केवल प्रशासनिक स्तर पर हो सके ऐसा संभव नहीं है । इसका समूल विनाश सभी के सामूहिक प्रयास के द्वारा ही संभव है । इसके लिए केंद्रीय स्तर पर राजनीतिक इच्छा-शक्ति का प्रदर्शन भी नितांत आवश्यक है ।Corruption |
भ्रष्टाचार की व्यापकता:
दुनिया में फ़ुल है, तो काँटे भी है। उजाला है तो अँधेरा भी है। सुख है तो दुःख भी है। उसी तरह सदाचार है तो दुराचार भी है। वैसे ही भ्रष्टाचार दुराचार का ही एक रूप है। हमारे देश में तो कोई ऐसा क्षेत्र नहीं जो भ्रष्टाचार से आज मुक्त हो। भ्रष्टाचार का कैन्सर शिक्षा जगत के स्वास्थ्य को चौपट करने में लगा हुआ है।भ्रष्टाचार का शिक्षा पर प्रभाव:
शिक्षा का स्थल सरस्वती देवी का पवित्र स्थान या मंदीर है। सरस्वती कला- साहित्य और ज्ञान विज्ञान की देवी है।वह निर्मल स्वभाव वाली और बौद्धिक जड़ता के अंधकार को दूर करती है। शिक्षा क्षेत्र से ही देश का उज्ज्वल भविष्य तय होता है। इसी क्षेत्र से देश और दुनिया को शिक्षक, लेखक, डॉक्टर, वैज्ञानिक, इंजीनियर, प्रशासक और कई महान व्यक्ति मिलते है। आदर्श नागरिक की जड़ है शिक्षा। राष्ट्र का विकास और अच्छा भविष्य इसी क्षेत्र से ही होता है और इस क्षेत्र में भ्रष्टाचार होना देश के लिए खतरा है। भ्रष्टाचार से शिक्षा क्षेत्र सड़ रहा है और कभी देश का सुनहरा भविष्य नही दे सकता।
Bribe |
भ्रष्टाचार एक दानव का रूप ले चुका है। वह अनेको रूप लेकर बढ़ता ही जा रहा है। शिक्षा में वह कई जगह डोनेशन के रूप में बढ़ रहा है तो कई शाला भवन की मरम्मत के रूप में बढ़ रहा है। कई जगह छात्रों को उतीर्ण करने के लिए रिश्वत के रूप में बढ़ रहा है। कहीं जगह तो विश्व विद्यालय के भ्रष्ट कर्मचारी नकली उत्तीर्ण प्रमाण पत्र छपवाकर बेचते है और corruption करते है। रुपयो के दम पर परीक्षा के पहले ही पृश्नपत्र विद्यार्थी के हाथ में चले जाते है! धन की वजह से ज़ीरो पानेवाला भी हीरो बन जाता है। शिक्षा क्षेत्र में बैठे भ्रष्ट व्यक्ति अपनी जेबें भरने का भ्रष्ट आचरण करते है।
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शिक्षा के क्षेत्र मे भ्रष्टाचार करके आज अयोग्य व्यक्ति उच्च पद पर बैठ जाते है। नकली प्रमाण पत्र के सहारे डॉक्टर और इंजीनियर अपने धंधे शुरू करते है और एक ग़रीब का बच्चा जो पढ़ने में होशियार है तथा मेहनत करके आगे आता है वो पीछे ही रह जाता है। ग़रीब का बच्चा जैसे ही एडमिशन के लिए जाता है उससे डोनेशन मांगा जाता है जो वो चुका नही पाता और पढ़ाई छोड़नी पड़ती है।
शिक्षा क्षेत्र में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कड़े अनुशासन और नियन्त्रण की आवश्यकता है। ये डोनेशन की कुनीति बंध होनी चाहिए। भ्रष्टाचार रोकने के लिए हमें भी उतना ही योगदान देना पड़ेगा। हम अगर रिश्वत देंगे ही नहीं तो वे डोनेशन लेंगे ही नहीं तो भ्रष्टाचार का सवाल ही पेदा नहीं होगा।
शिक्षा में भ्रष्टाचार करना राष्ट्र की नीव को कमजोर करना है। कमजोर नींव पर राष्ट्रीय विकास की इमारत खड़ी नहीं हो सकती है। यदि देश में विकास और वृद्धि देखनी है तो corruption को मिटाना ही होगा।
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इसके अलावा कई क्षेत्रों में भ्रष्टाचार फ़ैल रहा है। भ्रष्टाचार आज राजनीति, सरकारी स्थल, स्कुल, कॉलेज, आदि कई जगह रिश्वत और डोनेशन की वजह बढ़ रहा है।काला बाजार, पैसों से काम करना, सस्ती चीजें महँगी बेचनी ऐसे कई तरीको से आज पूरे देश को बरबाद कर रहा है।
हम बचाते रहे दीमक से घर अपना और चंद खुर्सी के कीड़े पुरा देश खा गए।
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