गणेशचतुर्थी 2022 :
गणेशोत्सव कब है और शुभ मुहूर्त क्या है? :
इस साल गणेशोत्सव 31 अगस्त 2022 , बुधवार को है। भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हर साल गणेशोत्सव मनाया जाता है।
गणेश स्थापना 2022 का शुभ मुहूर्त सुबह 06:12 AM से 09:19 AM और 10:53AM से 12:27PM बजे तक होगा। पूजा की कुल अवधि 4 से 5 घँटे की होगी।
31 अगस्त रात 11:02 मिनट पर चतुर्थी तिथि प्रारम्भ होगी। गणेश विसर्जन 9 सितंबर 2022 शुक्रवार को किया जाएगा। विसर्जन के दिन राहुकाल प्रात: 10:51 से 12:24 तक है, तो इस समय बप्पा का विसर्जन ना करे ।
शास्त्रो के अनूसार बप्पा का जन्म दोपहर को हुआ था तो उनकी स्थापना दोपहर को की जाए और सुबह स्नान करके उनका उपवास लेना चाहिए। उनकी स्थापना एक जगह लाल कपड़े पर और वहाँ गंगा जल छिड़ककर की जाए। फ़िर उनकी पूजा और विधि अनुसार मंत्रोच्चार किया जाए। उनको मोदक का प्रसाद और फ़ुल चढाए जाए।
श्री गणेश |
क्यों मनाई जाती है गणेशचतुर्थी?
हमारी सभ्यता में कई देवी देवताए है। उनमें श्रीगणेश को सबसे उपरी माना जाता है। श्री गणेश की कहानियाँ और उनके विषय में जानना सभी लोग बहुत ही पसंद करते है। श्री गणेश का रूप ही ऐसा है की सब उसका वर्णन देखने में तल्लीन हो जाते है। श्री गणेश भगवान शिव (शंकर) और देवी पार्वती के प्रथम पुत्र थे। और सबसे पहले उनकी पूजा की जाती है।
एक वक़्त की बात है, सभी देवी देवताऐ बड़ी मुश्किल में होते है। वे अपनी मुश्किल को हल करने के लिए भगवान शिव के पास जाते है। तब शिवजी के पास उनके दोनों पुत्र गणेश और कार्तिक भी होते है। देवताओं की मुश्किल सुनने के बाद शिवजी ने अपने दोनों पुत्रो को कहा की कौन देवताओं की ये मुश्किल दूर करेगा, कौन उनकी मदद करेगा? जब दोनों पुत्रों ने मदद के लिए हा कहा तब शिवजी ने दोनों पुत्रों के सामने एक चुनोती रखी। जो सबसे पहले इस पृथ्वी की परिक्रमा सबसे पहले पूरी करेगा उसे देवताओं की मदद का अवसर मिलेगा। ये सुनते ही कार्तिक अपने मोर पर सवार होके परिक्रमा करने के लिए चले गए। लेकिन श्री गणेश वही खड़े सोचने लगे की मै मूषक पर बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा कैसे करू? इसीलिए श्री गणेश अपने पिता भगवान शिवजी और माता पार्वती की सात बार परिक्रमा करके उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेते है।
थोड़ी दैर के बाद कार्तिक पृथ्वी की परिक्रमा करके वापस आते है और खुद को विजेता घोषित करते है। तभी शिवजी श्री गणेश की और देखते है और कहते है क्यों गणेश तुम पृथ्वी की परिक्रमा करने क्यो नही गए? तब श्री गणेश कहते है की अपने माता पिता में तो पुरा संसार बसा है फ़िर चाहें में पृथ्वी की परिक्रमा करू या अपने माता पिता की परिक्रमा ये तो एक ही बात है ना। और मैंने तो एक बार नहीं बल्कि पूरे सात बार परिक्रमा की है। श्री गणेश की ये बात सुनकर सब बड़े प्रसन्न हो गए और शिवजी ने गणेश को देवताओं की मदद करने की आज्ञा दी। साथ ही शिवजी ने श्री गणेश को आशीर्वाद दिया की जोभी कृष्णपक्ष की चतुर्थी को तुम्हारी पूजा और उपवास करेगा उसे सुख-समृद्धि एवं उसकी मनोकामनाएँ पूरी होंगी। इस कारण हम श्री गणेश की गणेशचतुर्थी का पूजन करते है और उन्हे हम प्रथम भगवान के रूप में मानते है।
गणेशोत्सव 10 दीन का क्यों है? :
पहले सिर्फ़ एक ही दिन का गणेशोत्सव होता है। लेकिन 10 दिन का गणेशोत्सव कब से शुरू हुआ? भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेशोत्सव मनाया जाता है। इस उत्सव को हजारों साल से मनाया जाता है। शिव पुराण के अनुसार इसी दिन भगवान श्री गणेश का जन्म हुआ था। जब भारत में पेश्वाओ का शासन था तब से गणेशोत्सव को मनाया जाता है।सवाई माधवराव पेश्वा के समय में पुना में शनिवारवाडा नामक राजमहेल् में गणेशोत्सव भव्य रूप में मनाया जाता था। जब अँग्रेज भारत आये तब पेश्वाओ पर अपना अधिकार जमा दिया और भगवान श्री गणेश के उत्सव बाधाएँ आने लगी। लेकिन ये परंपरा हमेशा चलती आई और हर साल ये उत्सव मनाते रहे।उस समय महान क्रांतिकारी वीर लोकमान्य तिलक ने सोचा की हिन्दू धर्म को कैसे संगठित किया जाय? तभी उन्होंने सोचा की श्री गणेशोत्सव एक ऐसा उत्सव है जो सभी धर्म में मनाया जाता है और इसमें अँग्रेज भी कोई दखल नहीं देँगे। इस विचार से लोकमान्य तिलकने पुना में सन् 1893 मे सार्वजनिक गणेशोत्सव की शुरुआत की। तिलक ने गणेशोत्सव को आजादी का एक प्रभावसाली साधन बनाया। इस विषय में तिलक ने पुना में एक सभा आयोजित की। जिसमें ये तय किया गया की भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से भद्रपद् शुक्ल चतुर्दशी तक गणेशोत्सव मनाया जाएगा। 10 दीन के इस उत्सव में हिंदूओ को एक करने मे और देश को आज़ाद करने में बड़ी योजनाए बनाने लगे। और तब आजतक गणेशोत्सव 10 दिनों का मनाया जाता है। धीरे धीरे पूरे महाराष्ट्र में सार्वजनिक गणेशोत्सव मनाया जाने लगा और दूसरे राज्यों में भी ये मनाया जाने लगा। अब तो लोग अपने घरों में भी गणेशोत्सव मनाते हैं। आप सभीको मेरी और से गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
श्री गणेश जी के लिए प्रसाद
गणेशजी को मोदक अतिप्रिय है, तो सबसे पहले श्री गणेश को मोदक का भोग लगाए। बाल गणेश को मोतीचूर के लड्डु बहुत प्रिय होते है तो प्रसाद के रूप मे मोतीचूर एवं बूँदी के और बेसन के लड्डु का भी भोग लगाया जाता है। महाराष्ट्रा में गणेश जी को पूरण पॉली का भी भोग लगाते है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार गणेश जी की पूजा करते समय उन पर सफेद चंदन, सफेद फूल आदि नहीं चढ़ाना चाहिए। चंद्रमा ने गणेश जी का रूप देखकर उनका उपहास किया था, और गणेश जी को क्रोध आ गया। जिसकी वजह से गणेश जी ने चंद्रमा को श्राप दिया था। इसलिए भगवान गणेश जी पर सफेद फूल और सफेद चीजें अर्पित नहीं करनी चाहिए।
गणेश श्लोक :
वक्रतुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ।
निर्विघ्नम कुरू मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा।।
गणेश मंत्र :
"ॐ गं गणपतये नमों नम:।"
No comments:
Post a Comment