सफ़र :
सफ़र हमारे जीवन से जुड़ा हुआ शब्द है। जब तक जीवन है, सफ़र तो रहेगा ही। सफ़र करने का भी एक अपना ही मजा है। कई लोग सफ़र का नाम सुनते ही उदास हो जाते है तो कई लोग, मेरे जैसे सफ़र करने के लिए हमेंशा तैयार रहते है। सफ़र कई प्रकार के होते है। साइकिल का सफ़र, बाइक का सफ़र, गाड़ी का सफ़र, बस का सफ़र, ट्रेन का सफ़र, विमान का सफ़र ऐसे कई तरीको से हम सफ़र कर सकते है। सफ़र से हमारे जीवन मे एक अलग अनुभव आता है।
साइकिल का सफ़र :
साइकिल के सफ़र की तो बात ही क्या करनी दोस्तों, तन और मन प्रफुल्लित हो जाते है। चारों और से ठंडी हवा के झोके शरीर को छूते ही शरीर पुरा ताजगीमय हो जाता है। धीरे धीरे पेडल मारते हुए जो तेजी से रास्ता कट जाता है की पता ही नहीं रहता। जब मैं स्कूल मे था तब मेरे गाँव से करीब सात-आँठ किलोमीटर दूर साइकिल लेके स्कूल जाता था। मेरे सारे दोस्त और मै, ऐसे पाँच-छह दोस्त हर रोज साइकिल के सफ़र का मजा लेते हुए स्कूल जाते तो पता ही नहीं रहता था की कब रास्ता कट गया और स्कूल पहुँच गए। और जब स्कूल छुटते ही सारे बच्चे एक साथ सब साइकिल लेके स्कूल से बहार निकलते थे तो करीब दो से तीन किलोमीटर तक साइकिल की लाइन लगती थी, और उस सफ़र का तो जो मजा था उसकी तो बात ही क्या करू? बारीश मे साइकिल का सफ़र का मजा कुछ और ही होता है। चालु बारीश में साइकिल चलाना और वो पानी की गड्डे से साइकिल निकालने का अनुभव बहुत ही लाजवाब होता है। बचपन की सबसे अच्छी चीज ही साइकिल है, और सबसे पहले हम साइकिल की जिद ही करते है।
बाइक का सफ़र :
बाइक का सफ़र भी मज़े वाला सफ़र है। हवा को चिरते हुए चलने में जो मजा है, वो बाइक के सफ़र मै ही आता है। कई बार दोस्तों के साथ कहीं दूर बाइक पर घूमने जाने का होता है और सफ़र मे जो मज़ा आता है, आनंद आ जाता है। बाइक पर सफ़र करते समय जब ठंडी और तेज़ हवा शरीर को छुकर निकलती है तो मन को एक अलग ही अनुभव मिलता है। बाइक का सफ़र यानी की स्पीड का सफ़र। बस हाथ घुमाओ और सफ़र चालू करो। बाइक का सफ़र रात को और अकेले मे जो डर के साथ होता है वो तो अगल ही अनुभव है। डर की वजह से सफ़र में और भी मजा और बाइक की स्पीड में भी बढ़ाव होता है। बाइक का सफ़र मेरा सबसे पसंदीदा सफ़र है।
गाड़ी के सफ़र का मज़ा तभी आता है, जब गाड़ी अपनी हो और कोई टेंशन ना हो। फिर गाड़ी लेकर दोस्तों के साथ कहीं लोंग ड्राइव पे चले जाए और उस सफ़र का जी भरकर आनंद उठाए।
बस का सफ़र :
बस मे ट्रैवल करने का अनुभव तो आप सबको को ही होगा। बस में सफ़र का मजा तभी आयेगा जब हमारी सीट खिड़की के पास हो। खिड़की वाली सीट से सफ़र का मजा दोगुना हो जाता है। सफ़र के दौरान खिड़की से बाहर का नज़ारा देखते हुए सफ़र कब खत्म हो जाता है पता ही नहीं चलता। सफ़र में जैसे पेड़ भी साथ मे चल रहे हो ऐसा लगता है। कई बार ख़ुशबुदार हवा के जोंके आते है और ठंडी तेज हवा चल रही होती है। बस में खिड़की के पास बैठकर सफ़र करने से हमारा मन विचारों में खो जाता है और सफ़र खुशनुमा रहता है।खिड़की वाली सीट और कान मे हेडफोन फ़िर अपने पसंदीदा गाने सुनते हुए हम सफर का मज़ा ले सकते है। सफ़र के वक़्त बस मे खिड़की वाली सीट यानी विचारों मे खो जाने की जगह। इस जगह पर बैठकर तो कई कविओं ने अच्छी अच्छी कविता लिख डाली है। कई बार सरकारी बसो में भीड़ होती है तो, खड़े रहकर भी सफ़र करना पड़ता है। खड़े खड़े बस में सफ़र करने का एक अपना अलग ही मज़ा है। बस के सफ़र का मेरा अनुभव भी बहुत ही अच्छा है।
ट्रेन का सफ़र :
ट्रेन का ट्रैवल मे जो मज़ा है वह और कही नहीं है। ट्रेन मे खिड़की के पास बैठकर सफ़र करने का आनंद अलग ही होता है। हल्की बारिश मे जब हवा को चिरति हुई ट्रेन चलती है और खिड़की के अंदर से बारिश का हल्का पानी शरीर को छूता है तो शरीर मे जैसे ताज़गी भर जाती है। कभी कभी बहुत ज्यादा भीड़ मे ट्रेन का सफ़र बहुत ही अलग होता है। कई बार अंजान लोगों से बातचित मे सफ़र खत्म हो जाता है और रास्ता कब कट जाता है पता ही नहीं रहता। ट्रेन के ट्रावेलिंग का भी अलग ही मज़ा है।
विमान के सफ़र का तो अनुभव नहीं है, लेकिन ऐसे बादलों के उपर से जाने का सफ़र भी क्या सफ़र होता होगा? धरती से कई फीट ऊँचाई के सफ़र का भी मज़ा अगल ही होता होगा। खिड़की वाली सीट से पूरी धरती का जो नज़ारा होता होगा वो कितना अद्भूत नज़ारा होगा। विमान का सफ़र यानी की बादलों मे खो जाने वाला सफ़र।
मंज़िल तो मौत है, सफ़र का मज़ा लीजिए।
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