आत्मविश्वास क्या है?
आत्मविश्वास एक ऐसी इमारत है जिसका निर्माण अनेक साधन और सामग्री की आशा से होता है। आत्मविश्वास अपने भीतर छिपी स्ट्रैंथ है, शक्ति है, पॉवर है जो हमें अपने जीवन में कई सफ़लता दिलााता है और जीवन जीने की राह दिखता है।
भक्ति भाव से आत्मविश्वास बढ़ता है। क्युकी जब हम अपना काम आत्म भक्ति भाव से करते है तब उस कार्य में सफ़लता नज़र आती है। इससे लोग भी प्रभावित होते है और हमसे सिखते है।
Self Supporting:
Self Confidence के साथ साथ हमें Self-supporting भी रहना होगा। अपने भीतर जो काबिलियत है उसे हमें बहार निकालके उसके उपर कार्य करना चाहिए। उससे हमारा self supporting बढ़ता है। उसके अलावा अपने अंदर छिपी काबिलियत को भी ढूँढना होगा। किसी ने खूब कहा है की हजार काम करने से काबिलियत नहीं मिलती, बल्कि एक काम हजार बार करने से काबिलियत मिलती है। Self supporting का बेस्ट उदाहरण हैं कपिल शर्मा। उन्होंने कई तकलीफ उठाई और अपना self confidence बनाए रखा। उन्होंने एक ही काम पकड़कर रखा और वो उसके काबिल बने। आज वो कॉमेडी के बादशाह है।
गर्व शब्द आत्मविश्वास का महत्व का पासां है। Proud शब्द से confidence में बढ़ावा होता है। हमें अपने काम पे गर्व होना चाहिए क्युकी ख़ुद को ही अगर अपना काम पसंद नहीं होगा तो उसमे आप सफ़ल कैसे बनोगे? Proud एक ऐसा शब्द है जो हर कोई अपने लिए सुनना चाहेगा। क्योंकि proud शब्द से हमारा self confidence बढ़ता है और हमें सफ़लता नज़र आती है।
हमें आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए अपने मन को बड़ा ही पॉजिटिव (+) रखना होगा , क्युकी पॉजिटिव सोच वाले लोग आज सफ़लता के करीब पहुँचते है। Positivity में इतनी ताकत है की हमारे पूरे मन और तन को बदल देता है। पॉजिटिव रहने से जीवन सुखी होता है और self confidence बढ़ता है। कहा जाता है की दृष्टि ऐसी सृष्टि मतलब की जैसी हमारी सोच होगी दुनिया हमें वैसी नज़र आएगी। अगर हमारे अंदर की सोच अच्छी होंगी तो हमें सब अच्छा लगेगा लेकिन यदि हमारी सोच ही ग़लत होंगी तो हमें सबकुछ ग़लत लगता है। इसीलिए हमारी सोच हमेशा अच्छे और योग्य होनी चाहिए। जिससे हमारा आत्मविश्वास बना रहता है।
विश्वास और श्रद्धा एकदूसरे के पर्याय है। जब की विश्वास से श्रद्धा बड़ी चीज है। जैसे कोई बड़ा सा राउंड होता है उसका केंद्र कितना छोटा होता है! वैसे ही विश्वास छोटा केंद्र है और श्रद्धा बड़ा राउंड है। जैसे केंद्र के बिना राउंड अशंभव है वैसे ही विश्वास के बिना श्रद्धा भी अशक्य है। हमें अगर अपने विश्वास पर पूरी श्रद्धा होगी तो हमारा आत्मविश्वास प्रबल होता है।
Read more: How to success in our life
आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए सबसे ज़रूरी चीज है पुरुषार्थ यानी की मेहनत। मेहनत ही एक ऐसा साधन है जिससे हमें सफ़लता मिल सकती है। अगर मेहनत करेगे तो आत्मविश्वास अपने आप ही आ जायेगा। और आत्मविश्वास आ जायेगा तो मेहनत तो बढ़ेगी ही बढ़ेगी। हमें अपने आप को ही तैयार करना होगा। I CANE DO IT.
self confidence बढ़ाने का अच्छा तरीका है की आप संकल्प करो। क्युकी अगर हम संकल्प कर लेते है तो 50% सफ़लता तो हमें तभी मिल जाती है। संकल्प एक ऐसा साधन है जिसकी वजह से हम अपने विश्वास की इमारत को बढ़ा सकते है। हमारे कार्य को हकीकत का स्वरूप देने के लिए संकल्प को base बनाना पड़ेगा। दूसरा हमें अपने काम को रुचि के साथ, आनंद के साथ करना होगा। कोई भी कार्य अगर रुचि से किया जाता है तो उसका परिणाम बहुत ही अच्छा होता है।
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आत्मविश्वास सिर्फ सफ़लता का नहीं, बल्कि पूरे जीवन का आधार है। 'आत्म' यानी हम और 'विश्वास' यानी की जीवन का श्वास। जैसे हम अपने आप के बिना जी नहीं सकते वैसे हम श्वास के बिना भी नहीं जी सकते। विश्वास अपने ह्रदय में बसा हुआ है, इसीलिए वो विशेष श्वास है।
YOU CAN DO IT ❤
आत्मविश्वास एक ऐसी इमारत है जिसका निर्माण अनेक साधन और सामग्री की आशा से होता है। आत्मविश्वास अपने भीतर छिपी स्ट्रैंथ है, शक्ति है, पॉवर है जो हमें अपने जीवन में कई सफ़लता दिलााता है और जीवन जीने की राह दिखता है।
भक्ति भाव से आत्मविश्वास बढ़ता है। क्युकी जब हम अपना काम आत्म भक्ति भाव से करते है तब उस कार्य में सफ़लता नज़र आती है। इससे लोग भी प्रभावित होते है और हमसे सिखते है।
Self confidence |
Self Supporting:
Self Confidence के साथ साथ हमें Self-supporting भी रहना होगा। अपने भीतर जो काबिलियत है उसे हमें बहार निकालके उसके उपर कार्य करना चाहिए। उससे हमारा self supporting बढ़ता है। उसके अलावा अपने अंदर छिपी काबिलियत को भी ढूँढना होगा। किसी ने खूब कहा है की हजार काम करने से काबिलियत नहीं मिलती, बल्कि एक काम हजार बार करने से काबिलियत मिलती है। Self supporting का बेस्ट उदाहरण हैं कपिल शर्मा। उन्होंने कई तकलीफ उठाई और अपना self confidence बनाए रखा। उन्होंने एक ही काम पकड़कर रखा और वो उसके काबिल बने। आज वो कॉमेडी के बादशाह है।
गर्व शब्द आत्मविश्वास का महत्व का पासां है। Proud शब्द से confidence में बढ़ावा होता है। हमें अपने काम पे गर्व होना चाहिए क्युकी ख़ुद को ही अगर अपना काम पसंद नहीं होगा तो उसमे आप सफ़ल कैसे बनोगे? Proud एक ऐसा शब्द है जो हर कोई अपने लिए सुनना चाहेगा। क्योंकि proud शब्द से हमारा self confidence बढ़ता है और हमें सफ़लता नज़र आती है।
हमें आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए अपने मन को बड़ा ही पॉजिटिव (+) रखना होगा , क्युकी पॉजिटिव सोच वाले लोग आज सफ़लता के करीब पहुँचते है। Positivity में इतनी ताकत है की हमारे पूरे मन और तन को बदल देता है। पॉजिटिव रहने से जीवन सुखी होता है और self confidence बढ़ता है। कहा जाता है की दृष्टि ऐसी सृष्टि मतलब की जैसी हमारी सोच होगी दुनिया हमें वैसी नज़र आएगी। अगर हमारे अंदर की सोच अच्छी होंगी तो हमें सब अच्छा लगेगा लेकिन यदि हमारी सोच ही ग़लत होंगी तो हमें सबकुछ ग़लत लगता है। इसीलिए हमारी सोच हमेशा अच्छे और योग्य होनी चाहिए। जिससे हमारा आत्मविश्वास बना रहता है।
विश्वास और श्रद्धा एकदूसरे के पर्याय है। जब की विश्वास से श्रद्धा बड़ी चीज है। जैसे कोई बड़ा सा राउंड होता है उसका केंद्र कितना छोटा होता है! वैसे ही विश्वास छोटा केंद्र है और श्रद्धा बड़ा राउंड है। जैसे केंद्र के बिना राउंड अशंभव है वैसे ही विश्वास के बिना श्रद्धा भी अशक्य है। हमें अगर अपने विश्वास पर पूरी श्रद्धा होगी तो हमारा आत्मविश्वास प्रबल होता है।
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आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए सबसे ज़रूरी चीज है पुरुषार्थ यानी की मेहनत। मेहनत ही एक ऐसा साधन है जिससे हमें सफ़लता मिल सकती है। अगर मेहनत करेगे तो आत्मविश्वास अपने आप ही आ जायेगा। और आत्मविश्वास आ जायेगा तो मेहनत तो बढ़ेगी ही बढ़ेगी। हमें अपने आप को ही तैयार करना होगा। I CANE DO IT.
self confidence बढ़ाने का अच्छा तरीका है की आप संकल्प करो। क्युकी अगर हम संकल्प कर लेते है तो 50% सफ़लता तो हमें तभी मिल जाती है। संकल्प एक ऐसा साधन है जिसकी वजह से हम अपने विश्वास की इमारत को बढ़ा सकते है। हमारे कार्य को हकीकत का स्वरूप देने के लिए संकल्प को base बनाना पड़ेगा। दूसरा हमें अपने काम को रुचि के साथ, आनंद के साथ करना होगा। कोई भी कार्य अगर रुचि से किया जाता है तो उसका परिणाम बहुत ही अच्छा होता है।
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आत्मविश्वास सिर्फ सफ़लता का नहीं, बल्कि पूरे जीवन का आधार है। 'आत्म' यानी हम और 'विश्वास' यानी की जीवन का श्वास। जैसे हम अपने आप के बिना जी नहीं सकते वैसे हम श्वास के बिना भी नहीं जी सकते। विश्वास अपने ह्रदय में बसा हुआ है, इसीलिए वो विशेष श्वास है।
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